Sunday 7 October 2018

पत्थर के नीचे दुःख - राकेश रोहित

बोध कथा
पत्थर के नीचे दुःख
- राकेश रोहित

तेज धूप में वहीं थोड़ी छांह थी।

बेटे ने पत्थरों को उठाकर एक जगह रखकर बैठने की जगह बनाने की सोची कि बाप ने बरजा-
"नहीं, नहीं पत्थर मत उठाना उसके नीचे कोई दुख होगा।"

बेटा तब तक पत्थर उठा चुका था और उसके नीचे से एक गहरे काले रंग का बिच्छू निकल कर पेड़ की तरफ भागा।

बेटे ने हड़बड़ाकर उसे रख दिया और दूसरा पत्थर उठाते हुए पूछा-
"पिता इसके अंदर भी दुख होगा?"

"बिच्छू भी हो सकता है।"
बाप ने कहा और चुपचाप गहरी सांस लेता हुआ जमीन पर बैठ गया।


पत्थर के नीचे दुःख 

9 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-10-2018) को "ब्लॉग क्या है? " (चर्चा अंक-3119) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. Good post

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  4. Very good post 4 story in Hindi d visit website

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