आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya

बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन

Sunday, 7 October 2018

पत्थर के नीचे दुःख - राकेश रोहित

›
बोध कथा पत्थर के नीचे दुःख - राकेश रोहित तेज धूप में वहीं थोड़ी छांह थी। बेटे ने पत्थरों को उठाकर एक जगह रखकर बै...
8 comments:
Sunday, 24 January 2016

पानी – राकेश रोहित

›
लघुकथा पानी   – राकेश रोहित " पानी पी लूँ ?" उसने विनम्रता से पूछा। " पानी के लिए पूछते हैं! पीने के लिए ही...
11 comments:
Saturday, 2 January 2016

वृक्ष के सपने में उड़ान है - राकेश रोहित

›
कविता वृक्ष के सपने में उड़ान है - राकेश रोहित वह इतनी अकेली थी सफर में कि वृक्ष के नीचे खड़ी हो गयी वृक्ष ने उसे देखा और हरा ह...
7 comments:
Tuesday, 10 November 2015

सुमन प्रसून - राकेश रोहित

›
कविता सुमन प्रसून - राकेश रोहित सुमन प्रसून को क्या सिर्फ कविताओं से जाना जा सकता है जिसके नीचे लिखा होता है उसका नाम या कविता...
3 comments:
Sunday, 1 November 2015

प्रेम के बारे में नितांत व्यक्तिगत इच्छाओं की एक कविता - राकेश रोहित

›
कविता प्रेम के बारे में नितांत व्यक्तिगत इच्छाओं की एक कविता - राकेश रोहित मैं नहीं करूंगा प्रेम वैसे जैसे कोई बच्चा जाता है स्क...
3 comments:
Sunday, 18 October 2015

बड़ी बात छोटी बात - राकेश रोहित

›
कविता बड़ी बात छोटी बात  - राकेश रोहित उसने कहा हमेशा बड़ी बातें कहो छोटी बातें लोग नकार देंगे जैसे कहो आकाश से नदियों की होती है...
3 comments:
Friday, 16 October 2015

एक दिन - राकेश रोहित

›
कविता एक दिन - राकेश रोहित सीधा चलता मनुष्य एक दिन जान जाता है कि धरती गोल है कि अंधेरे ने ढक रखा है रोशनी को कि अनावृत है स...
3 comments:
Sunday, 11 October 2015

कवि का झोला - राकेश रोहित

›
कविता कवि का झोला - राकेश रोहित कवि के झोले में क्या है ? हर फोटो में साथ रहा कवि के कांधे पर टंगा वह खादी का झोला। कवि के झ...
3 comments:
Sunday, 4 October 2015

मेरी आत्मा, पत्थर और ऊषा तुम - राकेश रोहित

›
कविता मेरी आत्मा , पत्थर और ऊषा तुम - राकेश रोहित ऐसा होता है एक दिन कि पथरीले रास्तों पर आते- जाते मेरी आत्मा से एक पत्थर चिपक ...
3 comments:
Thursday, 1 October 2015

मैंने कितनी बार कहा है - राकेश रोहित

›
कविता मैंने कितनी बार कहा है - राकेश रोहित मेरे जीवन, मेरी स्मृति में वह क्या है जो सुंदर है और तुम नहीं हो! उपमाएं सारी...
1 comment:
Sunday, 27 September 2015

वे तितली नहीं मांग रहीं... - राकेश रोहित

›
पुस्तक समीक्षा वे तितली नहीं मांग रहीं... - राकेश रोहित कृष्णा सोबती  एक रचना कहीं-न-कहीं अस्तित्व की तलाश होती है क्यो...
4 comments:
Wednesday, 16 September 2015

कवि, पहाड़, सुई और गिलहरियां - राकेश रोहित

›
कविता कवि, पहाड़, सुई और गिलहरियां - राकेश रोहित पहाड़ पर कवि घिस रहा है सुई की देह आवाज से टूट जाती है गिलहरियों की नींद! ...
2 comments:
Thursday, 10 September 2015

सुमन प्रसून तुमको सुनते हुए - राकेश रोहित

›
कविता सुमन प्रसून तुमको सुनते हुए - राकेश रोहित वह सामने कविता पढ़ रही थी कविता पढ़ते हुए हिलती थी उसकी गर्दन और शब्द रूक कर देख...
›
Home
View web version

About Me

My photo
Hindi Sahitya
आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश
View my complete profile
Powered by Blogger.