कविता
पंचतंत्र, मेमने और बाघ
- राकेश रोहित
पानी की तलाश में मेमने
पंचतंत्र की कहानियों से बाहर निकल आते हैं
और हर बार पानी के हर स्रोत पर
कोई बाघ उनका इंतजार कर रहा होता है.
मेमनों के पास तर्क होते हैं,
और बाघ के पास बहाने.
मेमने हर बार नये होते हैं
और बाघ नया हो या पुराना
फर्क नहीं पड़ता.
जिसने यह कहानी लिखी
वह पहले ही जान गया था -
"मेमने अपनी प्यास के लिए मरते हैं
और ताकतवर की भूख तर्क नहीं मानती!"
- राकेश रोहित
पानी की तलाश में मेमने
पंचतंत्र की कहानियों से बाहर निकल आते हैं
और हर बार पानी के हर स्रोत पर
कोई बाघ उनका इंतजार कर रहा होता है.
मेमनों के पास तर्क होते हैं,
और बाघ के पास बहाने.
मेमने हर बार नये होते हैं
और बाघ नया हो या पुराना
फर्क नहीं पड़ता.
जिसने यह कहानी लिखी
वह पहले ही जान गया था -
"मेमने अपनी प्यास के लिए मरते हैं
और ताकतवर की भूख तर्क नहीं मानती!"
ताकतवर की भूख तर्क नहीं मानती / राकेश रोहित |
पंचतंत्र ,हितोपदेश आदि की कहानियाँ जहाँ हमें दुष्टों से बचने का मार्ग दिखाती है ,वहीँ दुष्टों के स्वभाव से भी अवगत कराती है। यह आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है। क्रूर,मक्कार और ताकतवर की भूख तर्क,न्याय या किसी आदर्श को नहीं मानती,उनके लिए उनका अहंकार और दैहिक-सुख ही सब कुछ है। फिर ऐसे दुष्टों के आगे गिड़गिड़ाने से कोई लाभ नहीं ,क्योंकि उनके पास बहानों कि कोई कमी नहीं होती।
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