Monday 7 May 2012

जब बाज़ार में आया प्यार - राकेश रोहित


कविता
जब बाज़ार में आया प्यार
- राकेश रोहित

बाज़ार बेचता है प्यार,
पल-पल बढते हैं खरीदार.
जिसको जैसी हो दरकार,
वैसी ले जायें सरकार!

अगर आपका मन सूना है
तो आपने सही क्षण चुना है
एंड ऑफ सीजनका सेल है,
ऑफर  की है यहाँ भरमार!

बाज़ार बेचता है प्यार
पल-पल बढते हैं खरीदार.

टेडी बीयर या लाल गुलाब
इस प्यार का नहीं जवाब!
बंद पाकेट में, शाकप्रूफ है
देखें कितना सुंदर रूप है!!

जैसी कीमत वैसे रंग,
सदा चलेगा आपके संग.
चाभी के छल्ले में प्यार,
देख हुआ मैं चकित यार!

बाज़ार बेचता है प्यार
पल-पल बढते हैं खरीदार.

बेस्ट बिफोरकी तारीख के साथ
चाकलेट के डब्बे में प्यार,
पोर्सलीन की यह हसीना 
आपको अपलक रही निहार.

सुंदर 'एसएमएस-बुक' है
आपके दिल का है इजहार,
अपनी आँखें हमें दीजिये
हम कर आयेंगे चार!

जब बाज़ार में आया प्यार
हमने देखे रंग हजार!
बाज़ार बेचता है प्यार
पल-पल बढते हैं खरीदार.


जब बाज़ार में आया प्यार / राकेश रोहित