Wednesday 10 July 2013

मुझे लगता है मंगल ग्रह पर एक कविता धरती के बारे में है - राकेश रोहित

कविता


मुझे लगता है मंगल ग्रह पर एक कविता धरती के बारे में है

- राकेश रोहित 

मुझे लगता है मंगल ग्रह पर बिखरे
असंख्य पत्थरों में 
कहीं कोई एक कविता धरती के बारे में है!

आँखों से बहे आंसू
जो आँखों से बहे और कहीं नहीं पहुंचे
आवाज जो दिल से निकली और
दिल तक नहीं पहुंची!
उसी कविता की बीच की किन्हीं पंक्तियों में
उन आंसुओं का जिक्र है
उस आवाज की पुकार है.

संसार के सभी असंभव दुःख जो नहीं होने थे और हुए
मुझे लगता है उस कविता में
उन दुखों की वेदना की आवृत्ति है.

पता नहीं वह कविता लिखी जा चुकी है
या अब भी लिखी जा रही है
क्योंकि धरती पर अभी-अभी लुप्त हुई प्रजाति का 
जिक्र उस कविता में है.

मुझे लगता है संसार के सबसे सुंदर सपनों में
कट कर  भटकती  उम्मीद की पतंग
मंगल ग्रह के ही किसी वीराने पहाड़ से टकराती है
और अब भी जब इस सुंदर धरती को बचाने की
कविता की कोशिशें विफल होती है
मंगल ग्रह पर तूफान उठते हैं.

मुझे लगता है
जैसे धरती पर एक कविता
मंगल ग्रह के बारे में है
ठीक वैसे ही मंगल ग्रह पर बिखरे
असंख्य पत्थरों में
कहीं कोई एक कविता धरती के बारे में है!


मुझे लगता है... / राकेश रोहित 

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता..

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  2. मुझे लगता है संसार के सबसे सुंदर सपनों में
    कट कर भटकती उम्मीद की पतंग
    मंगल ग्रह के ही किसी वीराने पहाड़ से टकराती है

    वाह ! बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति , लाजवाब

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    " जैसे धरती पर एक कविता
    मंगल ग्रह के बारे में है
    ठीक वैसे ही मंगल ग्रह पर बिखरे
    असंख्य पत्थरों में
    कहीं कोई एक कविता धरती के बारे में है!" --लाजवाब !

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  4. सुंदर ,लाजवाब अभिव्यक्ति |
    http://srishtiekkalpana.blogspot.in

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  5. Waah waah , bahut dino baad aisa padhne ko mila hai.

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  6. adbhut kalpna, aur bahut nirali rachna,

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