Monday 21 October 2013

चिड़िया जब बोलती है - राकेश रोहित

कविता 
चिड़िया जब बोलती है 
- राकेश रोहित 

एक चिड़िया जब बोलती है
एक चिड़िया जब...
बस
इसके बाद सारे शब्द बेमानी हो जाते हैं!

हजार शब्दों में उतारी नहीं जाती
उसकी एक आवाज
एक चिड़िया जब बोलती है
कविताएँ उसको खामोश सुनती हैं!!


चिड़िया जब बोलती है / राकेश रोहित 

Friday 4 October 2013

पंचतंत्र, मेमने और बाघ - राकेश रोहित

कविता 
पंचतंत्र, मेमने और बाघ 
- राकेश रोहित

पानी की तलाश में मेमने
पंचतंत्र की कहानियों से बाहर निकल आते हैं
और हर बार पानी के हर स्रोत पर
कोई बाघ उनका इंतजार कर रहा होता है.

मेमनों के पास तर्क होते हैं,
और बाघ के पास बहाने.
मेमने हर बार नये होते हैं
और बाघ नया हो या पुराना
फर्क नहीं पड़ता.

जिसने यह कहानी लिखी
वह पहले ही जान गया था -
"मेमने अपनी प्यास के लिए मरते हैं
और ताकतवर की भूख तर्क नहीं मानती!"

ताकतवर की भूख तर्क नहीं मानती / राकेश रोहित