बोध कथा
पत्थर के नीचे दुःख
- राकेश रोहित
तेज धूप में वहीं थोड़ी छांह थी।
बेटे ने पत्थरों को उठाकर एक जगह रखकर बैठने की जगह बनाने की सोची कि बाप ने बरजा-
"नहीं, नहीं पत्थर मत उठाना उसके नीचे कोई दुख होगा।"
बेटा तब तक पत्थर उठा चुका था और उसके नीचे से एक गहरे काले रंग का बिच्छू निकल कर पेड़ की तरफ भागा।
बेटे ने हड़बड़ाकर उसे रख दिया और दूसरा पत्थर उठाते हुए पूछा-
"पिता इसके अंदर भी दुख होगा?"
"बिच्छू भी हो सकता है।"
बाप ने कहा और चुपचाप गहरी सांस लेता हुआ जमीन पर बैठ गया।
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पत्थर के नीचे दुःख |