Friday 2 May 2014

बदलते मनुष्य का रंग विचार की तरह नहीं होता - राकेश रोहित

कविता
बदलते मनुष्य का रंग विचार की तरह नहीं होता
- राकेश रोहित 

यह देखो- हरा, उन्होंने कहा
मैंने देखा वो पत्तियाँ थीं
और मुझे उनमें मिट्टी का रंग दिख रहा था।
ऐसा अक्सर होता है
मुझे बच्चे की हँसी नीले रंग की दिखती है
समंदर की तरह विराट को समेटे
और लोग बार- बार कहते हैं
पर उसकी शर्ट का रंग तो लाल है!

हरे पत्तों में मिट्टी का रंग / राकेश रोहित 

जैसे बदलते मनुष्य का रंग
उसके विचार की तरह नहीं होता
खो गयी चीजों का रंग वही नहीं होता
जो खोने से पहले होता है
जैसे बीजों का रंग वह कुछ और होता है
जो उन्हें फूलों से मिलता है
और वह कुछ और जो मिट्टी में मिलता है।

नीले रंग की हँसी / राकेश रोहित 

इस सदी के बच्चे बहुत विह्वल हैं
वे अपना खेलना छोड़
घने जंगलों में भटक रहे हैं
एक अँधेरे कुंए में खो गयी हैं उनकी सारी गेंद
और बारिश में आसमान की पतंगों का रंग उतर रहा है।

चीजें जिस तेजी से बदल रही हैं
रंग उतनी तेजी से नहीं बदलते
इसलिए खीरे के रंग का साबुन
मुझे खीरा नहीं दिखता
और मैं जब अंधेरे में चूम लेता हूँ
महबूब के होंठ
मैं जानता हूँ प्यार का रंग गुलाबी ही है।

उसकी आँखों में उजली हँसी / राकेश रोहित 


ऐसे ही एक दिन मुझसे पूछा
पीली सलवार वाली लड़की ने
उम्मीद के छोटे-छोटे
कनातों का रंग क्या होगा?
मैं उसकी आँखों में उजली हँसी देख रहा था
उसके कत्थई चेहरे को
मैंने दोनों हाथों में भर कर कहा
ओ लड़की! उनका रंग निश्चय ही
तुम्हारे सपनों की तरह इंद्रधनुषी होगा।

दोनों हाथों में भर कर उसका कत्थई चेहरा / राकेश रोहित 

7 comments:

  1. अच्छी कविता है भाई..... बधाई....।।

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  2. बहुत अच्छी कविता हॆ. आजकल लिखी जार ही कविताओं से हटकर हॆ आपका मुहावरा.

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  3. Aapki kavitaon ka fan Rana gun. Aksar Maine paya hai ki aapki k
    Kavita Gandhi gayI nahi hoti hai balk I swatah phut spade jharane ki Torah hai tavi is me
    T

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  4. bahut achchi kavita hai. vilkut tataki kavita,

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  5. चीजें जिस तेजी से बदल रही हैं
    रंग उतनी तेजी से नहीं बदलते।
    इसलिए खीरे के रंग का साबुन
    मुझे खीरा नहीं दिखता
    और मैं जब अंधेरे में चूम लेता हूँ
    महबूब के होंठ
    मैं जानता हूँ प्यार का रंग गुलाबी ही है। waah..seedhe dil me utarti hai aapki kavitaaye ..

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  6. सारी कवितायेँ नई ताजगी लिए हुवे सुन्दर भावों से भरी .. एक नया मुहवरा गढ़ती कवितायेँ

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