Monday 1 September 2014

ऐसे तो मैं - राकेश रोहित

कविता
ऐसे तो मैं
 - राकेश रोहित

ऐसे तो मैं कविता लिखता हूँ                  
जैसे अचानक भूल गया हूँ तुम्हारा नाम
जैसे याद करना है उसे अभी- के-अभी
पर जैसे छूट रहा है जीभ की पहुँच से
दांत में दबा कोई रेशा
जैसे पानी में डूब- उतरा रही है
किसी बच्चे की गेंद
जैसे सामने खड़ी तुम हँस रही हो
पर नहीं देख रही हो मुझे
कि जैसे तुम्हें पुकारना
है दुनिया का सबसे जरूरी काम!

ऐसे तो मैं कविता लिखता हूँ
जैसे तितलियों के साथ नाच रहे हैं
नंग- धड़ंग बच्चे
और फूल खिलखिलाकर हँस रहे हैं
कि जैसे रंग हवा पर सवार हैं
और मन में कोई मिठास जगी है
कि जैसे वक्त की खुशी
इतनी आदिम पहले कभी नहीं हुई
कि जैसे इससे पहले कभी नहीं लगा
कि कुछ कहने- सुनने से बेहतर है
प्यार किया जाए!

ऐसे तो मैं कविता लिखता हूँ
कि इस बार लिखना है मन के पोर- पोर का दर्द
कि जैसे यह समय फिर नहीं आयेगा
कि जैसे न कह दूं तो कम हो जायेगी
किसी तारे की रोशनी
कि जैसे पृथ्वी ठहर कर मेरी बात सुनती है
कि जैसे बात मेरी खामोशियों से भी बयां हो रही है
कि जैसे जान गये हैं सब यूं ही
क्या है कहने की बात
कि जैसे अब दुविधा मन में नहीं है
कि जैसे कहना है कि अब कहना है!

ऐसे तो मैं कविता लिखता हूँ

चित्र / के. रवीन्द्र 

3 comments:

  1. ऐसे तो मैं कविता लिखता हूँ
    कि इस बार लिखना है मन के पोर- पोर का दर्द
    कि जैसे यह समय फिर नहीं आयेगा
    कि जैसे न कह दूं तो कम हो जायेगी
    किसी तारे की रोशनी
    कि जैसे पृथ्वी ठहर कर मेरी बात सुनती है
    कि जैसे बात मेरी खामोशियों से भी बयां हो रही है
    कि जैसे जान गये हैं सब यूं ही
    क्या है कहने की बात
    कि जैसे अब दुविधा मन में नहीं है
    कि जैसे कहना है कि अब कहना है!

    बढिया

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  2. kya baat hai !!!

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  3. कि जैसे वक्त की खुशी
    इतनी आदिम पहले कभी नहीं हुई
    कि जैसे इससे पहले कभी नहीं लगा
    कि कुछ कहने- सुनने से बेहतर है
    प्यार किया जाए!

    Behatreen Abhivyakti.. jaise kuch adhura sa pura kar lene ki chah.. jaise kuch chhoot jaane ka dar se mutthi me sama lene ki koshish... bahut hi mithas se bhari hui ye kavita.. badhai ho aapko ki aaj ke samay sachmuch kathin hai itna masoom sa kuch likh pana .. bahut bahut badhai aapko !!!

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