कविता
चिड़िया की आँख
- राकेश रोहित
शर संधान को तत्पर
व्यग्र हो रहे हैं धनुर्धर
वे देख रहे हैं केवल चिड़िया की आँख!
व्यग्र हो रहे हैं धनुर्धर
वे देख रहे हैं केवल चिड़िया की आँख!
यह कैसा कलरव है
यह कैसा कोलाहल है?
जो गुरूओं को सुनाई नहीं देता
अविचल आसन में बैठे वे
नहीं दिखाई देता उनको
चिड़िया की आँखों का भय।
यह कैसा कोलाहल है?
जो गुरूओं को सुनाई नहीं देता
अविचल आसन में बैठे वे
नहीं दिखाई देता उनको
चिड़िया की आँखों का भय।
यह धनुर्धरों के दीक्षांत
का समय है
राजाज्ञा के दर्प से तने हैं धनुष
और दूर दीर्घाओं मे करते हैं कवि पुकार-
राजन चिड़िया की आँख से पहले
चिड़िया दिखाई देती है
और चिड़िया से पहले उसका घोसला
जहाँ बसा है उनका कलरव करता संसार।
राजन इन सबसे पहले दिखाई देता है
यह सामने खड़ा हरा- भरा पेड़
जो अनगिन बारिशों में भींग कर बड़ा हुआ है
और उससे पहले वह बीज
जो किसी चिड़िया की चोंच से यहीं गिरा था
उन बारिशों में।
राजाज्ञा के दर्प से तने हैं धनुष
और दूर दीर्घाओं मे करते हैं कवि पुकार-
राजन चिड़िया की आँख से पहले
चिड़िया दिखाई देती है
और चिड़िया से पहले उसका घोसला
जहाँ बसा है उनका कलरव करता संसार।
राजन इन सबसे पहले दिखाई देता है
यह सामने खड़ा हरा- भरा पेड़
जो अनगिन बारिशों में भींग कर बड़ा हुआ है
और उससे पहले वह बीज
जो किसी चिड़िया की चोंच से यहीं गिरा था
उन बारिशों में।
वह पेड़ दिखाई नहीं
देता धनुर्धरों को
जिस पेड़ के नीचे सभा सजी है
पर पेड़ को दिखाई देता है
चिड़िया की आँखों का सपना
जिस सपने में है वह पेड़
चिडियों के कलरव से भरा।
जिस पेड़ के नीचे सभा सजी है
पर पेड़ को दिखाई देता है
चिड़िया की आँखों का सपना
जिस सपने में है वह पेड़
चिडियों के कलरव से भरा।
शांत हैं सभी कोई
बोलता नहीं
श्रेष्ठता तय होनी है आज और अभी।
कोई खतरे की बात नहीं है
पेड़ रहेंगे, चिड़िया रहेगी
वे बेधेंगे केवल चिड़िया की आँख!
श्रेष्ठता तय होनी है आज और अभी।
कोई खतरे की बात नहीं है
पेड़ रहेंगे, चिड़िया रहेगी
वे बेधेंगे केवल चिड़िया की आँख!
नजर उनकी है एकटक लक्ष्य पर
देख रहे हैं भरी सभा में
वे केवल चिड़िया की आँख!
उन्हें खबर नहीं है
इसी बीच
उनके कंधे पर
आकर वह चिड़िया बैठ गयी है
देख रहे थे सब केवल जिस चिड़िया की आँख!
देख रहे हैं भरी सभा में
वे केवल चिड़िया की आँख!
उन्हें खबर नहीं है
इसी बीच
उनके कंधे पर
आकर वह चिड़िया बैठ गयी है
देख रहे थे सब केवल जिस चिड़िया की आँख!
चित्र / के. रवीन्द्र |
बहुत अच्छी कविता
ReplyDeleteकई प्रश्न करती जिनके जवाब नही
बधाई
ReplyDeleteबधाई
ReplyDeletesundar kavita , hardik badhai!
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