लघुकथा
स्वप्न
- राकेश रोहित
औरत को अचानक भान हुआ, यह खूबसूरत दुनिया उसके लिए बनी है और प्रतिपल को उसको हिस्सेदारी अपेक्षित है. उसकी आँखें खुल गईं.
पुरुष ने कहा, "प्रिये, तुम कितना सुन्दर स्वप्न देख लेती हो," और वह मुस्करा कर उसकी बांहों में सो गई. ooo
This short story is a big statement.-Deepak
ReplyDeletestri ke prati purush ki kya vichadhara hai aur stri kaise apne ko bhulave me rakhti hai -is par kuch shabdon me apka vishleshan atyant sarahniye hai.
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