हस्तांतरण
- राकेश रोहित
वर्षा के जमे पानी में मेरी नाव तैर रही थी. मैं उसे देखने में मग्न था. तभी पास का एक बच्चा पानी में उछलता-कूदता आगे बढ़ा. उसने हाथ बढ़ाकर नाव को उठा लिया और किनारे लाकर फिर से तैरा दिया. नाव तैरती रही. अब वह ताली बजकर हँस रहा था और मैं गुमसुम खड़ा था. ooo
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